सबसे पहले कुछ
अपने बारे में!
कृपया आश्चर्य न
करें पर मेरी
मातृ भाषा तमिल
हैं और मैं
कोई विदेशी नहीं
हूँ! में भी
भारतीय हूँ और
उतना ही भारतीय
जितना की आप,
जिनकी मातृ भाषा
हिंदी हैं| अगर आप मेरे
इन शब्दों से
परेशान हैं अथवा
मेरे वाक्य आपको
समझ नहीं आ
रहें हैं तो
जान लीजिये की
आपकी अवस्था भी
बिलकुल मेरी ही
तरह हैं! आपने
अक्सर देखा और
पढ़ा होगा और
यह हाल फिलाल
में सुर्खियां भी
बानी की इस
देश में हिंदी
भाषा को सरकारी
कार्यों में प्राथमिक्ता देनी
चाहिए| इस विशय
पर अनेक टिप्पणियां
भी आई, कुछ
इस विषय के
पक्ष में और
कुछ इसके विपक्ष
में, कुछ सभ्य
शब्दों में और
कुछ...................................खैर छोड़िये!
इतिहास गवाह हैं
की इस देश
में भाषा और
भाषाओँ का बहुत
महत्व हैं| भाषा
के आधार पर
राज्यों के विभाजन
से ले कर
भाषाओँ के पक्ष
में एवं भाषाओँ के ज़बरदस्ती
थोपने के खिलाफ
आंदोलन तक, हमने
सब देखा हैं|
लोगों ने इस
मुद्दे पर अपनी
जान तक कुर्बान
की हैं और
शायद आज भी
लोग इस मुद्दे
पर जान देने
और जान लेने
के काबिल हैं|
यह एक वजह
काफी हैं के
हम जब भी
इस विशय पर
कोई भी चर्चा
करें तो तनिक
सावधानी और ठन्डे
दिमाग से करें|
"अनेकता में एकता"
एक ऐसा मंत्र
हैं जिसे देश के
पाठशालाओं में बच्चों
को इस तरह
सिखाया जाता हैं
जैसे कोई माँ
अपने बच्चे को
उसके जन्म पर
अपना दूध पिला
रही हो! हमारा
संविधान भी देश
के इसी मूल
मंत्र पर आधारित
हैं| इस देश
के अनेक किस्म
के भिन्नताओं में
भाषा की एहमियत
शायद सर्वोपरि हैं|
कहते हैं इस
देश के "कोस
कोस पर पानी
बदले, चार कोस
पे वाणी"! इस
स्तिथि में अनिवार्य
हैं की हर
वह निर्णय जिस
से हमारे विविधता
पर कोई आंच
आ सके, उनका
प्रयोग मात्र भावनाओं में
डूब कर या
राजनितिक फायदों के लिए
न लियें जायें|
मेरा भा.......षा महान! |
यह अक्सर कहा जाता
हैं मेरे जैसों
के बारे में,
खासकर उत्तर भारत
के प्रांतों में
की हम 'मद्रासी'
हिंदी नहीं जानते
और हम 'मद्रासियों'
में हिंदी के
खिलाफ विशेष लगाव
हैं! "'मद्रासी' हिंदी नहीं
जानता, कोई हिंदी
सीखना भी नहीं
चाहता, कोई हिंदी
सीखना भी चाहे
तो उन्हें सिखाया
नहीं जाता, हिंदी
जानता भी हो
तो जान बूझकर
हिंदी का प्रयोग
नहीं करता!" मुझे
यकीन हैं के
आप सब ने
इन शब्दों का
प्रयोग कभी न
कभी किया होगा
या करते हुए
सुना होगा! मैं
तो इन शब्दों
को सुन सुन
कर थक गया
हूँ| बहुत नाइंसाफी
हैं यह! क्या
आपने कभी किसी
'मद्रासी' को दिल्ली
आकर यह कहते
सुना हैं की
"यह 'हिंदीवाला' तमिल नहीं
जानता, मलयालम सीखना भी
नहीं चाहता, तेलुगु
सीखना चाहे तो
कोई सिखाता नहीं
हैं, कन्नड़ा जानता
भी हो तो
जान बूझकर उसका
प्रयोग नहीं करता!"
(मेरे अज़ीज़ हमवतनों:
देखा आपने? हम
'मद्रासियों' में ही
कितनी विविधता हैं?
वेलकम!) और यह
सिर्फ 'मद्रासियों' तक ही
सीमित नहीं. मेरे
मित्रगण जो बांग्ला,
ओड़िया,अहोमिया,गुजरती,मराठी, कोंकणी इत्यादि
इत्यादि भाषी हैं,
शायद वह भी
इस वक़्त ऐसा
ही सोच रहें
होंगे!
अनेकता में एकता! |
मैं न केवल एक दक्षिण भारतीय
हूँ जिसकी मातृ
भाषा हिंदी नहीं
हैं बल्कि में
रहता भी दक्षिण
भारत में हूँ
जहाँ हिंदी भाषा
का प्रयोग ज़्यादा
नहीं हैं| तमिलनाडु
में तमिल का
या महाराष्ट्र में
मराठी का उपयोग
ज़्यादा होना तो
स्वाभाविक सी बात
हैं, होनी भी
चाहिए. इसके बावजूद
मेरे दोनों बच्चे
आज अपने विध्यालय
में हिंदी
भाषा सीख रहें
हैं. जानते हैं
क्यों? क्योंकि हम पर
हिंदी पढ़ने की
कोई ज़बरदस्ती नहीं
हैं. हमारा मानना
हैं की हमारी
प्रांतीय एवं मातृ
भाषा तो हम
सीख ही लेंगे,
अंतराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी
तो अनिवार्य हैं,
हिंदी सीखने से
हमें देश के
अन्य प्रांतों में
भी काम करने
का अवसर मिल
सकता हैं. अर्थार्थ
कोई नेकी या
हिंदी पर कोई
विशेष प्रेम नहीं
बल्कि सीधे सीधे
स्वार्थ, आर्थिक लाभ उठाने
का स्वार्थ. आप
हमें क्या हिंदी
सिखाएंगे जनाब! हम तो
वैसे हे सीख
रहें हैं और
दिल्ली पर भी
धावा बोल ही
देंगे एक न
एक दिन. पर
आप कब 'मद्रासी'
सीखोगे बंधू?
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प्र: जानते हैं तमिलनाडु
में हिंदी को
फैलाने का कार्य
सबसे ज्यादा किस
संस्था ने किया
हैं?
उ: .............................................बॉलीवुड ने!
शुक्रियां अतिया ज़ैदी जी @atiyaz -à "कोस कोस
पर पानी बदले,
चार कोस पे
वाणी"! के लिए
एवं
Which Hindi r we talking about? Bhojpuri?Awadhi?Maithli?
Chhatisgarhi?Haryanvi?Dakkani? Pahadi?Maghai?Rajasthani? Khari
Boli?Bambaiya?..1/3
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राष्ट्र गीत "वन्दे मातरम्" हो या राष्ट्र गान "जन गण मन - अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता" हो मद्रासी एक लब्ज़ भी गलत नहीं बोलता है.
ReplyDeleteलेकिन हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, या कोई अन्य मातृ भाषा बोलने वाले हमारे राज्य मर्यादा गान – तमिल वंदना – "निराडुम कडलुडुत्त निल मडंदै" गया पाएंगे!